हिमांशु का रंग नीला था, निजी अस्पतालों में साढे पांच लाख का खर्च गिनवाया, आरबीएसके से हो गया निशुल्क उपचार

रामजी लाल मीना
आमजन के सपनों को साकार करने तथा हर प्रकार की बीमारी ने निजात दिलाने के लिये राज्य सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना सहित अन्य संचालित योजनाये आमजन के लिये कारगर साबित हो रही है।
दौसा जिले के बांदीकुई ब्लॉक के बडियाल कलां का रहने वाला नन्हें हिमांशु को जब उसके माता पिता देखते हो चिंतित हो उठते। आम बच्चों से अलग डेढ साल का हिमांशु का रंग नीला था। इतना ही नहीं हिमांशु के पैर, होइ, जीभ, हाथ आदि भी नीले रहते थे। पिता राजाराम और माता रामकला सैनी ने जब जयपुर में बच्चे को निजी अस्पतालों में दिखाया तो बताया गया कि बच्चे को सीएचडी है। बच्चे के दो ऑपरेशन होंगे, जिसका खर्च साढे पांच लाख के करीब आएगा। तब जाकर बच्चा ठीक हो पाएगा।
इतना पैसा पास नहीं होने के कारण माता-पिता चिंतित हो उठे। दवा चालू रखी और बच्चे को घर ले आए। नन्हा हिमांशु दौसा जिले के बांदीकुई ब्लॉक के बढियाल कलां का रहने वाला है और आंगनबाडी मेडी में भी जाता था। यहां नियमित विजिट पर जब बांदीकुई ब्लाकॅ की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम बी पहुंची तो स्क्रीनिंग के दौरान टीम को भी इस बीमारी का पता चला। टीम के चिकित्सक डॉ. रजनीश, डॉ.रेखा और एएनएम सुनिता ने बच्चे को संभला और हायर सेंटर के लिए आरबीएसके के कार्ड पर रैफर कर दिया। हायर सेंटर पर सभी जांचें आदि निशुल्क होने के बाद हिमांशु को ऑपरेशन के लिए सत्य साई अस्पताल, अहमदाबाद के लिए भेज दिया गया। अभी हिमांशु वहीं है। उसका ऑपरेशन 16 जून को हो चुका है। अहमदाबाद से हिमांशु के पिता ने फोन पर बताया कि हिमांशु का उपचार निशुल्क हो गया है। ऑपरेशन के बाद दस दिन आईसीयू में रखा गया, वह भी निशुल्क था। फिलहाल हिमांशु एकदम ठीक है और सामान्य वार्ड में रखा गया है। दो-तीन में हिमांशु को छुट्टी देकर घर भेज दिया जाएगा।
हिमांशु के पिता का कहना है कि आरबीएसके के तहत बच्चों का निशुल्क उपचार पूरे परिवार को नया जीवन देने जैसी योजना है। इससे बच्चों का उपचार तो निशुल्क होता ही है निजी अस्पतालों में होने वाले खर्च से भी निजात मिलती है। जिस उपचार के बदले निजी अस्पताल कई लाख रूपए वसूलते हैं वहीं आरबीएसके बच्चों की जन्मजात बीमारियों का निशुल्क उपचार करवाता है।